सिविल सेवा परीक्षा के टॉपर के टिप्स: तैयारी के दौरान ध्यान रखने योग्य प्रमुख बातें

मेरा जन्म वर्ष 1996 में बिजनौर, उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था। परिवार में पापा-मम्मी के अलावा एक छोटा भाई है। पापा एक आर्किटेक्ट इंजीनियर हैं, मम्मी टीचर है और घर-परिवार की सभी व्यवस्‍थाएं भी वहीं संभालती हैं। छोटा भाई क्रिकेटर है, जो अभी उत्तर प्रदेश अंडर-25 क्रिकेट टीम का हिस्सा है। मेरी शुरुआती स्कूली शिक्षा दिल्ली के ही कैम्ब्रिज पब्लिक स्कूल से हुई इसके बाद कक्षा 6 से कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई सरदार पटेल विद्यालय से पूरी की। मैं स्कूल के दिनों में छात्र कार्यकारी की सदस्य थीं और मुझे विभिन्न स्कूल कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जिम्मेदार सांस्कृतिक मामलों के सचिव के रूप में नियुक्त किया जाता था। इसलिए व्यक्तित्व से संबंधित कुछ क्षमताओं का विकास मेरा स्कूली दौरा में ही हो गया था।

जामिया मिलिया इस्लामिया से शुरू की परीक्षा की तैयारी
बीए पूरी होते ही मैंने नई दिल्ली के ही सेंट स्टीफेन कॉलेज में समाजशास्त्र विषय से एमए के लिए एडमिशन ले लिया और इसी दौरान पापा ने मेरा दाखिला जामिया मिलिया इस्लामिया आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए) में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए करवा दिया। यहीं से मेरी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की शुरुआत होती है। इस परीक्षा के लिए आधार तो मैंने कॉलेज के दौरान ही तैयार कर लिया लेकिन वह काम शेष था, जिसकी बदौलत आप मुख्य परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। जामिया का माहौल इस दृष्टिकोण से बहुत अच्छा था। हम यहां ग्रुप स्टडी पर ज्यादा ध्यान देते थे, जिससे संबंधित टॉपिक को हर एक आयाम से तैयार किया जा सकें। यहां पर सभी लोगों में एक दूसरे से आगे निकलने की एक हौड़ रहती है, जिससे आपकी पढ़ाई में गतिशीलता बनी रहती है और इस परीक्षा के लिए लिहाज से यह बहुत ही आवश्यक है।

मेरा पहला और अंतिम प्रयास
लगभग 2-3 साल की तैयारी के बाद मैंने सिविल सेवा परीक्षा, 2019 में बैठने का फैसला किया। इसके लिए मैंने अपनी तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया था। इसके तहत टेस्ट सीरीज हल करना, लेखन गति और लेखन शैली में सुधार के लिए लेखन अभ्यास को तेज कर दिया और रिवीजन पर ध्यान देना शामिल था। इस प्रकार अच्छी तैयारी के साथ मैंने प्रारंभिक परीक्षा दी, जिसमें मैं आसानी से पास हो गई लेकिन मुख्य परीक्षा में मैं केवल एक अंक की कमी के चलते मैं साक्षात्कार के लिए नहीं चुनी गई। अब इसे आप मेरी किस्मत कहे या कुछ और लेकिन यह मेरी उम्मीद के एकदम विपरित था लेकिन जाे होना था वो हो चुका था इसलिए मैंने बेकार की बातों पर दिमाग लगाने के बजाय यह विश्लेषण करने में जुट गई कि आखिरकार मुझे गलती कहां हुई। इसके लिए मैंने काफी विश्लेषण किया और पाया कि मुझे अपने जवाबों की गुणवत्ता में सुधार की गुंजाइश नजर आई और मैं अपने अगले प्रयास के लिए जुट गई थी। इस दौरान कोविड-19 आ गया, जिसकी वजह से सब-कुछ डिस्टर्ब हो गया था लेकिन मैंने इसे ‘आपदा को अवसर में बदलने’ की तर्ज पर इसका सकारात्मक उपयोग किया। कोविड-19 के दौरान जहां लोगों ने अपने परिवार के साथ भरपूर समय बिताया, ठीक उसी दौरान मैंने अपनी किताबों को ज्यादा से ज्यादा समय दिया। इस बार मेरा पूरा फोकस मुख्य परीक्षा पर था। इस बार मैंने कुछ भी नहीं छोड़ा और हर एक विषय का रिवीजन भी 2-3 बार कर लिया था। टेस्ट सीरीज के कई सेटों को हल किया, जिसकी बदौलत मैं टू-द-पॉइंट स्व-मूल्याकंन करने में सफल रही।
अंततः यूपीएससी ने सीएसई 2021 के लिए 4 मार्च, 2021 को अधिसूचना जारी की और मैंने इसके लिए आवेदन कर दिया। दूसरे प्रयास के लिए मेरी तैयारी का स्तर काफी अच्छा था इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ सिविल सेवा परीक्षा, 2021 में शामिल हुई और स्टेप बाय स्टेप कवर करते हुए मैं साक्षात्कार तक पहुंच गई। साक्षात्कार के लिए मुझे दो काम करने थे पहला मॉक साक्षात्कार के माध्यम से स्वयं के हाव-भाव मॉनिटर करना था और दूसरा विस्तृत आवेदन पत्र को पूरी तरह से स्पष्ट करना था, बाकि ज्ञान विस्तृत अध्ययन से आ ही गया था। इस प्रकार पूरे आत्मविश्वास के साथ मैंने साक्षात्कार दिया और साक्षात्कार बहुत अच्छा रहा। इस बार मुझे कामयाबी की उम्मीद थी लेकिन एक अजीब सा डर भी था कि इस बार भी चयन नहीं हुआ तो फिर शुरुआत से शुरू करना पड़ेगा, यही सोचकर मैंने तीसरे प्रयास के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। अंततः 30 मई, 2022 को सिविल सेवा परीक्षा, 2021 का अंतिम परिणाम जारी हुआ और मेरा परिणाम वह था जिसकी मुझे 1 प्रतिशत भी उम्मीद नहीं थी यानी सिविल सेवा परीक्षा, 2021 में मुझे पूरे भारत में पहला स्‍थान मिला। यह मेरे परिवार, गांव और क्षेत्र के लिए गौरव का विषय था।

कामयाबी के लिए मूलमंत्र
मैंने इस परीक्षा के आधार को मजबूत करने के लिए सबसे पहले एनसीईआरटी और अन्य बेसिक किताबें पढ़ी थीं। इसके अलावा मैंने महत्वपूर्ण टॉपिक्स के नोट्स बनाकर तैयारी की, जिसकी मुख्य परीक्षा में काफी मदद मिली। मैंने पढ़ाई के घंटे गिनने की बजाय गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना दिया था और यही एक उचित रणनीति का एक भाग होता है। रिवीजन, टेस्ट सीरीज, मॉक टेस्ट, पिछले सालों के पेपर और मुख्य परीक्षा के लिए नियमित उत्तर लेखन का अभ्यास करती थीं।
ध्यान रहे अपने आस-पास उन्हीं लोगों को रखें जो आपको मानसिक सहारा दे सकें, न कि ऐसे लोगों को, जो आपको हतोत्साहित करें। हमेशा खुद से प्रेरित रहें और नियमित पढ़ाई करें। खुद पर भरोसा रखें और हार न मानें। साथ ही, अपनी गलतियों को पहचानें और उन्हें सुधारकर आगे बढ़ें। आप जल्द से जल्द अपनी कामयाबी को पा लेंगे।

तैयारी के दौरान ध्यान रखने योग्य प्रमुख बातें

पाठ्यसामग्री का चयन : भ्रामक प्रचार और आकर्षक आवरण के फेर में न उलझकर उन्हीं किताबों की मदद लें जिनके बारे में विशेषज्ञ या टॉपर बताते हैं। खुद के नोट्स भी तैयार कर सकते हैं।

तैयारी के प्रति दृढ़ता : कुछ अभ्यर्थी तैयारी का मानस तो बना लेते हैं लेकिन तैयारी को दिनचर्या में समायोजित नहीं कर पाते। यदि आपको सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करनी है तो किसी खास समय का इंतजार करना नुकसानदायक है क्योंकि इसमें एक मानसिक व्यवस्था कार्य करती है जो आपके पहले के कार्यों के मुताबिक ही निर्देशित करती है लेकिन ऐसी मानसिक व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए एक टाइम टेबल बना कर सख्ती से उसे अपनी दिनचर्या में लागू करने का प्रयास करें, धीरे-धीरे आप सामान्य हो जाएंगे। इस तरह तैयारी के प्रति दृढ़ता के भाव को जाग्रत करें, जिससे आपकी तैयारी एक लय में आ सके।

सहनशीलता : सिविल सेवा परीक्षा एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें सफल होने में कितना समय लगना है, यह किसी को नहीं मालूम। इस लंबी प्रक्रिया में अनेक तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें आर्थिक और पारिवारिक सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा अपने नजदीकी लोगों से ताने भी सुनने पड़ सकते हैं। यदि आप पूरी ईमानदारी और दृढ़ता से तैयारी में लगे हैं तो तानों और आलोचनाओं से कतई न घबराएं और खुद को अपमानित भी महसूस न करें। असल में यही वे चीजें हैं जिनकी मदद से संघर्षरत अभ्यर्थी स्वयं को लक्ष्य के प्रति दृढ़ और मजबूत बनाता है। प्रत्येक स्थिति में संयम बनाए रखें और तैयारी में लगे रहें। जो लोग आज आपको अपमानित कर रहे हैं वे ही कल आपकी सफलता का जश्न मनाते दिख जाएंगे। इसलिए बेकार बातों पर ध्यान नहीं देते हुए तैयारी में मन लगाएं।

स्वाभाविकता : तैयारी के दौरान किसी भी कीमत पर अपनी प्रकृति के साथ कतई समझौता न करें और जो करें पूरी लगन और स्व-विवेक से करें। पढ़ाई के समय पढ़ाई करें और खेलने की इच्छा होने पर खेलें, घूमने की इच्छा होने पर घूमें, सिनेमा देखें, चाहे तो कभी-कभी लंबी सैर पर भी चले जाएं। यदि आपकी स्वाभाविकता ही खत्म हो जाएगी तो आप अपनी क्षमताओं का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। यह एक बड़ा सवाल है जो कहने में आपको बहुत सहज और आसान लगता है लेकिन इसके प्रभाव नकारात्मक होते हैं और एक दिन आप ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं जहां कुछ दिनों बाद तैयारी बोझिल लगने लगती है। इसलिए पढ़ाई के साथ वे सभी कार्य नियमित रूप से करें जो आप पहले भी करते थे लेकिन पहली प्राथमिकता पढ़ाई को ही दें।

मार्गदर्शन : उचित ढंग से तैयारी शुरू करने के लिए एक मार्गदर्शक होना जरूरी है। कई बार हम मेहनत और प्रयास तो बहुत करते हैं मगर सफलता नहीं मिलती, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग कम मेहनत और कुछ प्रयास में ही सफल हो जाते हंै। इसका कारण उनका सही दिशा में सार्थक प्रयास होता है।

कोचिंग : कोचिंग केवल अभ्यर्थी का मार्गदर्शन कर सकते हैं इसके अलावा कुछ नहीं। कोचिंग को लेकर प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग नजरिया होता है, जिसका आधार संबंधित अभ्यर्थी की पारिवारिक परिस्थितियां, आर्थिक हालात, स्थानीय माहौल और पढ़ाई की पृष्ठभूमि के अलावा कुशल मार्गदर्शन की उपलब्धता और अनुपलब्धता होती है। बहरहाल यह सवाल आज भी बना हुआ है कि कोचिंग वास्तव में सफलता के करीब पहुंचाती है या नहीं। यह सवाल इसलिए भी जरूर है क्योंकि मौजूदा समय में इस परीक्षा के प्रति अभ्यर्थियों के दिमाग में कई तरह की विसंगतियां पैदा हुई हैं। नए अभ्यर्थी शुरू में ही यह मानकर कोचिंग ज्वॉइन कर लेते हैं कि बगैर कोचिंग इस परीक्षा में सफल होना कठिन है। यह मानसिकता तैयारी के प्रति नकारात्मकता को बढ़ावा दे रही है।

स्वाध्याय पर दें अधिक ध्यान
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी स्वाध्याय पर निर्भर है। इस परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकतर अभ्यर्थी अपनी अलग-अलग परिस्थितियों के चलते कोचिंग नहीं जाते। इसका मतलब यह नहीं कि वे बिना मार्गदर्शन सफलता पा लेते हैं, जो विद्यार्थी स्वाध्याय करते हैं, वे भी किसी न किसी से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। ऐसे अभ्यर्थियों के सामने सबसे बड़ी समस्या उचित पाठ्य-सामग्री के चुनाव और समय-प्रबंधन की होती है। ऐसे अभ्यर्थियों के लिए निम्नलिखित सुझाव कारगर हो सकते है-

  • किताबों की सूची तैयार करते समय विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं से संबंधित पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले सफल उम्मीदवारों के साक्षात्कारों में प्रकाशित किताबों को अपनी सूची में शामिल कर सकते हैं। हालांकि कुछ प्रकाशन इस सूची में खुद की किताबों को शामिल कर लेते हैं, जिन्हें छोड़ा जा सकता है।
  • वैकल्पिक विषय के लिए किसी भी नए विषय की बजाय स्नातक स्तर के विषय को प्राथमिकता दें।
  • सफल उम्मीदवारों से मिलें या उनके द्वारा दिए गए टिप्स को अपनाएं, जो काफी मददगार होते हैं।
  • उन विद्यार्थियों से मिलते रहें, जो किसी अच्छे कोचिंग में तैयारी कर रहे हैं। वहां से नोट्स वगैरह मिल सकते है।
  • प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करें और उपलब्ध पुस्तकों में से तुलनात्मक रूप से देखें कि कौनसी पुस्तक अधिक कारगर है और किसमें विषय की आधिकारिक और बोधगम्य विवेचना की गई है।
  • प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से आपको तथ्यात्मक जानकारी हासिल करनी है, इसलिए पुस्तक में अंडरलाइन करते चलें। मुख्य परीक्षा की दृष्टि से भी नोट्स तैयार कर लें। तैयार नोट्स किसी विशेषज्ञ से चैक करवाए जा सकते हैं।
  • इंटरनेट का प्रयोग केवल तथ्यों की गुणवत्ता, समसामयिकी, केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों की वार्षिक रिपोर्ट देखने और किसी विशेष टॉपिक से जुड़ी अद्यतन सामग्री के लिए करें।
  • संघ व राज्य लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं, बैंक पीओ, रेलवे, एसएससी आदि परीक्षाओं के हल पेपर के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पत्रिकाएं पढ़ें।
  • पिछले वर्षों में पूछे गये प्रश्नों का अभ्यास दो तरीके से करें एक, समूह चर्चा के जरिए और दूसरा उत्तर लिखने का अभ्यास।
  • पढ़ाई के लिए समय-सारणी तय करें और अधिकतम सीमा तक उसकी कसौटी पर खरा उतरें।
  • उत्तर लिखकर विशेषज्ञ से जांच करवाएं और लगातार सुधार करते रहें। पहले विषय की बुनियादी जानकारी हासिल करें और यदि समय मिले तो उस विषय की नई और प्रामाणिक किताबों का अध्ययन करें।
  • स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और घरेलू उपचारों की मदद लें। प्रतिदिन सुबह अंकुरित अनाज खाएं।
  • किसी महापुरुष को अपना प्रेरणा स्रोत बनाएं। जब निराश हों, प्रेरक साहित्य का अध्ययन करें।
  • साक्षात्कार की तैयारी मुख्य परीक्षा के साथ करते रहें। अभिव्यक्ति का पर्याप्त विकास समूह-चर्चा से ही संभव है।
  • पर्याप्त नींद लें, सुबह की सैर पर जाएं, स्तरीय अखबार देखें, टीवी पर समाचार सुनें। चार घंटे के अध्ययन के बाद मस्तिष्क को थोड़ा विश्राम दें।
  • मनोरंजन के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। पढ़ाई को बोझ और जीवनचर्या को यांत्रिक न बनने दें। खूब हंसें, यदि संभव हो तो पसंदीदा खेल खेलें।

डॉक्टर-इंजीनियर परिवार से मैं पहली जिसने कला विषय लिया
मैंने स्कूल के दिनों में ही तय कर लिया था कि मैं सिविल सेवा का हिस्सा बनूंगी और इसीलिए मैंने तकनीकी और मेडिकल शिक्षा के बजाय इतिहास विषय को चुना जिसके माध्यम से मैं इस सेवा में जल्द से जल्द आ सकूं। मैं अपने घर की पहली सदस्य हूं जिसने उच्च शिक्षा के लिए कला विषय लिया है। इससे पहले मेरे घर में सभी लोगों ने विज्ञान और तकनीकी की ही पढ़ाई की है और इसलिए मेरे परदादाजी से लेकर पापा तक सभी चिकित्सा और तकनीकी क्षेत्र में सेवारत रहे है। मेरे परदादाजी दया स्वरूप शर्मा और दादाजी देवेंद्र दत्त शर्मा अपने गांव के जाने-माने डॉक्‍टर रहे है। इसके अलावा मेरे ताऊजी यज्ञ दत्त और चचेर बहन भी डॉक्टर है और यहां तक मेरी मम्मी भी इंजीनियरिंग की छात्रा रही है। इस प्रकार मैं इंजीनियरों और डॉक्टरों के परिवार से नाता रखती है। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करते करते ही मैंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में बीए के लिए एडमिशन ले लिया था। दिल्ली का शुरुआती एक साल मौज-मस्ती और महौल को समझने में निकल गया लेकिन बीए के दूसरे साल से ही मैंने अपने लक्ष्य यानी सिविल सेवा परीक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ-कुछ पढ़ाई शुरू कर दी थी। कॉलेज में भी मैं स्कूल की तरह ही संसदीय बहस, पारंपरिक बहस, और वाद-विवाद जैसी विभिन्न प्रकार के आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लिया लेती थी। जिससे पढ़ाई के साथ-साथ मेरी संप्रेषण क्षमता, लीडरशिप पावर जैसी क्षमताओें का विकास हुआ। इस प्रकार सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम का कुछ हिस्सा मैंने बीए के दौरान स्पष्ट कर लिया था।